Children in Aircrafts: विमान यात्रा करते समय परिवारों को कई बार अनेक परेशानियों का सामना करना पड़ता है, खासकर तब जब सीटों का पूर्व निर्धारण नहीं किया गया हो। बच्चों को उनके माता-पिता से अलग बैठने पर मजबूर किया जाना एक आम समस्या है, जिसके चलते न केवल बच्चे असहज महसूस करते हैं, बल्कि माता-पिता भी चिंतित रहते हैं।
इसी समस्या को देखते हुए, भारतीय विमानन नियामक संस्था (Indian Aviation Regulatory Authority), डायरेक्टरेट जनरल ऑफ सिविल एविएशन (DGCA), ने हाल ही में सभी एयरलाइन्स को एक महत्वपूर्ण निर्देश जारी किया है। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा है कि उड़ान के दौरान 12 वर्ष तक के सभी बच्चों को उनके माता-पिता या अभिभावकों में से कम से कम एक के साथ सीट अवश्य दी जाए।
इस पहल को अमली जामा पहनाने के लिए डीजीसीए ने अपने परिपत्र में संशोधन भी किया है। यह निर्देश ऐसे समय में आया है जब विमान यात्रा की मांग लगातार बढ़ रही है। 21 अप्रैल को, एक दिन में घरेलू यात्रियों की संख्या रिकॉर्ड 471,751 तक पहुँच गई थी।
डीजीसीए ने यह भी बताया कि कुछ सेवाएं जैसे कि पसंदीदा सीट आवंटन, भोजन, नाश्ता, पेय और संगीत वाद्ययंत्र ले जाने के लिए शुल्क एयरलाइनों द्वारा स्वैच्छिक आधार पर दी जाती हैं, और यह अनिवार्य नहीं हैं।
यह निर्णय न केवल बच्चों के लिए यात्रा को सुरक्षित और सुखद बनाने का एक प्रयास है, बल्कि यह माता-पिता की चिंता को भी कम करता है। इसके अलावा, यात्रियों को जो पहले से सीट नहीं चुनते हैं, उनके लिए ऑटो सीट असाइनमेंट (Auto Seat Assignment) की भी व्यवस्था है, ताकि वे वेब चेक-इन के समय अपनी पसंदीदा सीट चुन सकें।
इस तरह, डीजीसीए के इस नए नियम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि विमान यात्रा के दौरान बच्चे अपने माता-पिता के साथ सुरक्षित और आराम से यात्रा कर सकें।
ये भी पढ़ें: विदेश यात्रा का सपना है? 50 हजार से कम में साकार करें, खाने-पीने का खर्च भी शामिल